गणेश जी, जिन्हें विघ्नहर्ता, सुखकर्ता और ज्ञान के देवता के रूप में जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। गणेश जी की आरती उनकी पूजा का एक अभिन्न अंग है, जो भक्ति और श्रद्धा का प्रतिक है। गणेश आरती का उच्चारण करने से मानसिक शांति, सुख-समृद्धि, और हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। आरती के समय दीये की लौ का प्रकाश, धूप का सुगंध, और घंटियों की ध्वनि एक दिव्य वातावरण का निर्माण करते हैं।
Ganesh Aarti PDF
दोस्तों यहाँ हमने आपके लिए खाश एक आर्टिकल तैयार किया है जहाँ आप गणेश जी आरती के बारे में सब कुछ पढ़ सकते है और साथ ही साथ आप गणेश जी की आरती PDF भी डाउनलोड कर सकते है। Ganesh Aarti PDF हमने आपके लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों में बनाया है। अगर आप डायरेक्ट पीडीऍफ़ डाउनलोड करना चाहते है तो निचे दिए गए डाउनलोड बटन पे क्लिक करें।
Table of Contents
गणेश जी की आरती का महत्व
गणेश जी की आरती का महत्व अद्वितीय है। यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि जीवन के प्रत्येक पहलू में सफल होने की दिशा में भी मार्गदर्शन करती है। आरती के दौरान गणेश जी के सामने श्रद्धा भाव से प्रस्तुत किया गया दीपक या दीया उनके प्रति हमारे प्रेम, आदर और विश्वास को दर्शाता है। आरती के पश्चात दिया हुआ प्रसाद भी शुभ और पवित्र माना जाता है।
गणेश जी की आरती Lyrics
गणेश जी की आरती में मुख्यतः “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा” का उच्चारण किया जाता है। यह आरती अत्यधिक लोकप्रिय है और इसे सरलता से हर कोई गा सकता है। आरती का पाठ कुछ इस प्रकार है:
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जा की पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
—– अतिरिक्त —–
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
गणेश जी की आरती के लाभ
1. मानसिक शांति और तनाव मुक्ति
गणेश जी की आरती करने से मन को अत्यंत शांति मिलती है। नियमित रूप से आरती गाने से मानसिक तनाव कम होता है और मन की एकाग्रता बढ़ती है।
2. समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद
गणेश जी को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है, जिनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ नहीं किया जाता। आरती करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
3. आध्यात्मिक उन्नति
आरती के माध्यम से गणेश जी का स्मरण और ध्यान करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह हमारे मन और आत्मा को शुद्ध करता है और हमें ईश्वर की ओर उन्मुख करता है।
गणेश जी की आरती का समय और विधि
1. आरती का समय
गणेश जी की आरती दिन में दो बार की जाती है – सुबह और शाम। सुबह की आरती के दौरान गणेश जी का स्वागत किया जाता है, और शाम की आरती में दिन भर के कार्यों के लिए धन्यवाद किया जाता है।
2. आरती की विधि
आरती की विधि निम्नलिखित है:
- स्नान: आरती से पहले स्नान करके शुद्ध हो जाना चाहिए।
- दीपक: गणेश जी के सामने एक दीपक जलाएं।
- धूप: धूप या अगरबत्ती जलाएं।
- मंत्र उच्चारण: आरती गाते हुए गणेश जी के मंत्रों का उच्चारण करें।
- फूल: गणेश जी को फूल अर्पित करें।
- प्रसाद: आरती के बाद गणेश जी को भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।
- Ganesh Aarti PDF जिसमे आरती लिखी हो ताकि आप आसानी से पढ़ सके
गणेश जी की आरती के अन्य प्रकार
1. गणेश अथर्वशीर्ष
गणेश जी की पूजा के समय गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। यह गणेश जी की स्तुति और उनके गुणों का वर्णन करता है।
2. गणपति स्तोत्र
गणपति स्तोत्र भी एक प्रभावी प्रार्थना है जो गणेश जी के विभिन्न नामों और उनके गुणों का उल्लेख करता है।
गणेश जी की आरती और व्रत
गणेश जी की आरती के साथ-साथ गणेश चतुर्थी के व्रत का भी विशेष महत्व है। इस दिन भक्त गणेश जी का व्रत रखते हैं और पूरे दिन उनकी आराधना करते हैं। व्रत के दौरान गणेश जी की आरती का पाठ अनिवार्य होता है।
आरती के दौरान की जाने वाली गलतियों से बचाव
आरती के समय कुछ सामान्य गलतियां होती हैं जिन्हें सुधारने से लाभ मिलता है:
- अपर्याप्त ध्यान: आरती करते समय गणेश जी पर पूरी श्रद्धा और ध्यान केंद्रित करें।
- साफ-सफाई: आरती के समय पूजा स्थल की पूरी तरह सफाई रखें।
- अवधि: आरती को जल्दी-जल्दी न करें, बल्कि पूरे ध्यान से और मन से करें।
गणेश जी की आरती के बारे में कुछ अनूठे तथ्य
1. पहली पूजा का सिद्धांत
गणेश जी की आरती से पहले, गणेश जी का पूजन करने का महत्व इस बात से झलकता है कि उन्हें प्रथम पूज्य माना गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा के बिना अधूरी मानी जाती है।
2. मुहूर्त और गणेश जी की आरती
आरती करने का सही मुहूर्त गणेश जी की कृपा प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है। शुभ मुहूर्त में आरती करने से गणेश जी की आराधना अधिक फलदायी होती है।
गणेश जी, जिन्हें विघ्नहर्ता और सुखकर्ता के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में अत्यधिक पूजनीय देवता हैं। उन्हें प्रसन्न करना हमारे जीवन में शुभता और समृद्धि लाने का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए हमें कुछ विशेष ध्यान देने योग्य बातें और पूजा विधि अपनानी चाहिए। Ganesh Aarti PDF का लिंक निचे दिया गया है।
गणेश जी को प्रसन्न करने के तरीके
1. गणेश चतुर्थी का व्रत और पूजा
गणेश चतुर्थी का व्रत और पूजा गणेश जी को प्रसन्न करने का एक प्रमुख तरीका है। इस दिन गणेश जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है और भक्तगण दिनभर व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर, उनकी विशेष पूजा की जाती है।
2. गणेश जी की मूर्ति स्थापना
गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए घर या कार्यस्थल पर उनकी मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसे एक पवित्र और स्वच्छ स्थान पर रखें। प्रतिदिन स्नान करने के बाद उनकी पूजा करें और उन्हें प्रसाद चढ़ाएं।
3. गणेश जी की आरती
गणेश जी की आरती गाना एक महत्वपूर्ण विधि है। प्रतिदिन सुबह और शाम को उनकी आरती करना न केवल उन्हें प्रसन्न करता है, बल्कि हमारे जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। गणेश आरती पीडीऍफ़ निचे से डाउनलोड किया जा सकता है।
4. गणेश मंत्रों का जाप
गणेश जी के मंत्रों का नियमित जाप करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। इनमें से कुछ प्रमुख मंत्र हैं:
- ओम गण गणपतये नमः
- ओम वक्रतुंडाय हुं
- ओम एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्
5. गणेश जी को मोदक का भोग
गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय है। पूजा के समय उन्हें मोदक, लड्डू या उनकी पसंदीदा मिठाई का भोग लगाएं। इससे गणेश जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
6. दूर्वा और लाल फूल अर्पित करना
गणेश जी की पूजा में दूर्वा (घास) और लाल रंग के फूल विशेष महत्त्व रखते हैं। इनकी अर्पणा से गणेश जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं। दूर्वा गणेश जी के माथे पर लगाएं और फूल उनके चरणों में अर्पित करें।
7. गणेश जी के नामों का उच्चारण
गणेश जी के 108 नामों का उच्चारण या अष्टोत्तर शतनामावलि का पाठ करने से भी गणेश जी प्रसन्न होते हैं। इसमें उनके विभिन्न नाम और उनके गुणों का वर्णन होता है।
8. व्रत और उपवास
गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए संकट चतुर्थी का व्रत करें। इस दिन उपवास रखकर गणेश जी की पूजा और आरती की जाती है। यह व्रत हर महीने के चतुर्थी तिथि को किया जाता है और इसे विशेष रूप से समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है।
9. अनुष्ठान और हवन
विशेष अवसरों पर गणेश जी की पूजा में हवन और अनुष्ठान करना भी उन्हें प्रसन्न करने का एक तरीका है। हवन के समय उनके विशेष मंत्रों का उच्चारण और हवन सामग्री का सही तरीके से उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
10. गणेश जी की कथाओं का पाठ
गणेश जी की महिमा और उनकी कहानियों का पाठ या श्रवण करना भी अत्यंत लाभकारी है। इससे उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में उनकी सहायता का अनुभव होता है।
गणेश जी की कृपा के लिए महत्वपूर्ण बातें
1. स्वच्छता और शुद्धता
गणेश जी की पूजा में स्वच्छता का अत्यधिक महत्त्व है। पूजा स्थल और अपने शरीर को हमेशा साफ रखें। पूजा से पहले स्नान करना और पूजा सामग्री को शुद्ध रखना आवश्यक है।
2. श्रद्धा और भक्ति
गणेश जी की पूजा श्रद्धा और भक्ति के साथ करनी चाहिए। सच्चे मन से की गई पूजा और आराधना गणेश जी को शीघ्र प्रसन्न करती है।
3. संकल्प और नियम पालन
पूजा के समय संकल्प लें कि आप गणेश जी की कृपा से किसी विशेष कार्य को करने जा रहे हैं। गणेश जी की कृपा पाने के लिए व्रत और पूजा के नियमों का पालन करना आवश्यक है।
4. दान और सेवा
गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए दान और सेवा का भी महत्त्व है। जरूरतमंदों की सहायता करना, अनाथालय या मंदिर में दान देना, गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के प्रभावी तरीके हैं।
5. नकारात्मकता से दूर रहना
गणेश जी की पूजा के समय नकारात्मक विचारों और कर्मों से बचना चाहिए। मन को शुद्ध रखें और ईमानदारी से गणेश जी की आराधना करें।
गणेश जी की कृपा का अनुभव
गणेश जी को प्रसन्न करने से उनके आशीर्वाद और कृपा का अनुभव होता है। उनके भक्तों की समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। गणेश जी की पूजा और आरती करने से हर प्रकार के विघ्न और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
गणेश जी को प्रसन्न करना न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि हमारे जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा और नई दिशा का संचार करता है। उनका आशीर्वाद हमारे हर कार्य में सफलता और शुभता लाता है।
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FAQ
गणेश जी की आरती न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि हमें गणेश जी के अनुकंपा और आशीर्वाद से परिपूर्ण करती है। नियमित रूप से गणेश जी की आरती करने से हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। हम सभी को गणेश जी की आरती का महत्व समझकर उसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
गणेश जी की आरती क्या है और इसका महत्त्व क्या है?
गणेश जी की आरती एक धार्मिक प्रार्थना है जो भगवान गणेश को समर्पित होती है। इसे विशेष धुन और मंत्रों के साथ गाया जाता है। आरती के माध्यम से हम गणेश जी को अपने प्रति प्रेम, श्रद्धा और भक्ति प्रदर्शित करते हैं। इसका महत्त्व इस बात में है कि यह न केवल मानसिक शांति प्रदान करती है, बल्कि हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाती है।
गणेश जी की आरती कौन कर सकता है?
गणेश जी की आरती किसी भी भक्त द्वारा की जा सकती है, चाहे वह किसी भी आयु, लिंग या धार्मिक पृष्ठभूमि का हो। इसे घर में, मंदिर में या किसी अन्य पवित्र स्थान पर किया जा सकता है।
गणेश जी की आरती करने का शुभ मुहूर्त क्या है?
गणेश जी की आरती का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल और संध्याकाल होता है। इन समयों में गणेश जी की आरती करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। विशेष अवसरों पर और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों के दौरान भी आरती का विशेष महत्त्व होता है।
गणेश जी की आरती करते समय क्या वातावरण होना चाहिए?
आरती के समय वातावरण शांत, सुगंधित और पवित्र होना चाहिए। इसमें दीयों का प्रकाश, अगरबत्ती की खुशबू और घंटियों की ध्वनि एक दिव्य वातावरण का निर्माण करते हैं।